निर्णायक मंडल

प्रोफेसर अनिल के गुप्ता

प्रोफेसर अनिल के गुप्ता

प्रोफेसर अनिल के गुप्ता आईआईएम अहमदाबाद और आईआईटी बॉम्बे के विज़िटिंग फैकल्टी हैं। वह हनी बी नेटवर्क के संस्थापक भी हैं। उनके पास मैनेजमेंट में पीएचडी, बायोकैमिकल जेनेटिक्स में एमएससी की डिग्री है और वह नैशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज़ और द वर्ल्ड एकेडमी ऑफ आर्ट ऐंड साइंस, कैलिफोर्निया, 2001 के फैलो भी हैं। प्रोफेसर गुप्ता ने ही नैशनल इनोवेशन फाउंडेशन और गुजरात ग्रासरूट्स इनोवेशन ऑग्मेंटेशन नेटवर्क की स्थापना भी की है।

2018-21 से सीएसआईआर भटनागर फैलो प्रोफेसर गुप्ता का मिशन जमीनी स्तर से/के लिए आविष्कारों का वैश्विक एवं लोकल दायरा बढ़ाना, औपचारिक व अनौपचारिक क्षेत्र के विचारों को जोड़ना और रचनात्मक समुदायों व व्यक्तियों को पहचान व सम्मान दिलाना और पुरस्कृत करना है। वह व्यक्तियों, संस्थाओं, कंपनियों और देशों द्वारा किए जा रहे मुक्त आविष्कारों को किफायती, लचीले और दोस्ताना भावनात्मक प्लेटफॉर्म के जरिए उन्हें आगे बढ़ाने में यकीन रखते हैं।

 
Mr. Arvind Gupta

श्री अरविंद गुप्ता

अरविंद गुप्ता एक कारखाने में काम करते थे लेकिन विज्ञान को बच्चों के लिए मजेदार बनाने के अपने जुनून पर आगे बढ़ने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी। वह वैज्ञानिक गतिविधियों पर 30 किताबें लिख चुके हैं, 400 किताबों का हिंदी में अनुवाद कर चुके हैं और दूरदर्शन पर विज्ञान आधारित 125 फिल्में पेश कर चुके हैं। उन्होंने आईयूसीएए, पुणे में चिल्ड्रेन साइंस सेंटर में 11 साल तक काम किया। यह सेंटर साधारण प्रयोगों और साइंस टॉयज़ पर अभी तक 20 अलग—अलग भाषाओं में 8600 शॉर्ट वीडियो प्रस्तुत कर चुके हैं। ये वीडियो दुनिया भर में अभी तक 7.2 करोड़ से अधिक बच्चों द्वारा देखे जा चुके हैं। उनकी वेबसाइट arvindguptatoys.com से रोज़ाना 12,000 से अधिक किताबें डाउनलोड हो रही हैं। 2018 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। इसके अतिरिक्त उनके पास कई सारे पुरस्कार हैं, जिनमें सरकार द्वारा शुरू किया गया पहला साइंस पॉपुलराइजेशन अमंग चिल्ड्रेन अवार्ड, आईआईटी कानपुर डिस्टिंग्शड एलुमनस अवार्ड और इंदिरा गांधी अवॉर्ड फॉर साइंस पॉपुलराइजेशन भी शामिल है।

 
डॉ. जीवीवी शर्मा

डॉ. जीवीवी शर्मा

डॉ. जीवीवी शर्मा ने आईआईटी बॉम्बे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस — बेंगलुरु से एमएससी इंजीनियरिंग और आईआईटी गुवाहाटी से बी.टेक की है। आईआईटी हैदराबाद में फैकल्टी के तौर पर जुड़ने से पहले वह सॉफ्टवेयर क्षेत्र में काम करते थे। वह वायरलेस टेक्नोलॉजी पर काम करते हैं लेकिन डेवलपमेंटल इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी को आम जनता तक ले जाने की लगन उनके जीवन में अन्य चीजों से महत्वपूर्ण है। 2016 से वह आईआईटी हैदराबाद के टीचिंग लर्निंग सेंटर में कोऑर्डिनेटर हैं और देश भर के स्कूलों व कॉलेजों में करीब 2000 शिक्षकों को प्रशिक्षण देने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है।

 
श्रीमती सुधा मूर्ति

श्रीमती सुधा मूर्ति

सुधा मूर्ति, इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन हैं और पिछले 22 वर्षों में वह 11 राष्ट्रीय आपदाएं संभाल चुकी हैं। वह सामाजिक कार्यों के लिए जागरूकता बढ़ाने में यकीन रखती हैं और इसी उद्देश्य के लिए वह दुनिया भर की यात्रा कर चुकी हैं। अंग्रेजी और कन्नड़ भाषा की लेखिका सुधा मूर्ति द्वारा लिखी गईं किताबों का अनुवाद सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं में हो चुका है और देश भर में उनकी किताबों की 26 लाख से ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं। उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है जिनमें आर.के. नारायण अवॉर्ड फॉर लिटरेचर, 2006 में पद्मश्री और 2018 में क्रॉसवर्ड्स बुक अवार्ड्स शामिल हैं। उनके जीवन का मूलमंत्र है ''कुछ लोगों की उदारता लाखों लोगों के लिए उम्मीद होती है।’'

 
Mr. Sumit Virmani

श्री सुमित वीरमानी

सुमित वीरमनी, मुख्य मार्केटिंग अफसर, इंफोसिस हैं और वैश्विक स्तर पर इंफोसिस ब्रांड की महत्वाकांक्षाओं को वास्तविकता बनाना उनकी जिम्मेदारी है। वह 2004 में इंफोसिस से जुड़े थे और तब से रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण कई पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं, जिनमें इंफोसिस प्रोडक्ट्स ऐंड प्लेटफॉम्र्स मार्केटिंग हैड और ग्लोबल हैड आॅफ कॉर्पोरेट मार्केटिंग का पद भी शामिल है। सुमित को प्रभावी मार्केटिंग में महारत हासिल है और उन्हें मार्केटिंग के असर व कारोबार के परिणामों के बीच मजबूत जुड़ाव बनाने की चुनौती अच्छी लगती है। सुमित के पास इंटरनैशनल मार्केटिंग में काम करने का 19 साल का अनुभव है। इंफोसिस से जुड़ने से पहले वह पोलारिस सॉफ्टवेयर और टाटा समूह के साथ काम कर चुके हैं, जहां उन्होंने ब्रांड डेवलपमेंट, मार्केटिंग कम्युनिकेशंस और डिमांड जेनरेशन यानी मांग बढ़ाने जैसे विशेषज्ञ कौशल हासिल किए।

 
Dr. Trilochan Sastry

डॉ. त्रिलोचन शास्त्री

डॉ. त्रिलोचन शास्त्री, एक प्रोफेसर व आईआईएम बेंगलुरु के पूर्व डीन रह चुके हैं। वह एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स यानी एडीआर और सेंटर फॉर कलेक्टिव डेवलपमेंट के संस्थापक हैं। वह फार्मवेद के भी संस्थापक हैं और कई सारे नैशनल अवार्ड्स से सम्मानित हैं, जिनमें टाइम्स ऑफ इंडिया, सीएनएन-आईबीएन और एनडीटीवी इंडियन ऑफ द ईयर अवॉर्ड के साथ ही आईआईटी दिल्ली द्वारा प्रदान किया गया डिस्टिंगुइश्ड एलुमनाई अवॉर्ड भी शामिल है। उन्हें शिक्षण और प्रोफेसर के तौर पर शोध के लिए भी कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने आईआईटी दिल्ली से बी.टेक, आईआईएम अहमदाबाद से पीजीपी और एमआईटी से पीएचडी की डिग्री हासिल की है।